आज हिंदी दिवस है।

 मेरी पहली हिन्दी कविता 



हे शिव!


हे शिव,

आपका स्मरण करके आज मैने,

एक कविता,

प्रयत्न किया है।

मेरी गुस्ताखी को क्षमा करना,

यह मेरी पहली हिन्दी कविता है।


आप हो निर्भय,

मै ठहरी एक इन्सान गृध्र, 

आप आसमान की ऊंचाई पर हो, 

मै बैठी गुरिया को हाथ में,

आज महाशिवरात्रि है।


आपके सिर में माँ गंगा है,

हाथ में त्रिशूल है,

मै तो मुखर हूँ,

आप तो बात किए बिना,

बात कर लेते हो।


आज एक कविता प्रयत्न,

किया है, आपके स्मरण में,

मेरी गुस्ताखी को क्षमा करना,

आज महाशिवरात्रि है।


‌‌‍‍‌‌‍‍~डाँ॰एस्॰पद्मप्रीया


Comments

Popular posts from this blog

நிகரற்ற நடிகர் சிவாஜி கணேசன்! Sivaji Ganesan

Poem: The Breaking of the Bastille

உலக தொலைநோக்கு பார்வையாளர் - பண்டிட் தீன் தயாள் உபாத்யாயா ஜி